अकीरा
मियावाकी तकनीक से बत्तीस
शिराला में घना जंगल विकसित
बत्तीस
शिराला, दो अगस्त- सांगली जिले
के बत्तीस शिराला के डॉक्टर परिवारने केवल एक वर्ष में जापानी वनस्पतिशास्त्रज्ञ अकीरा
मियावाकी द्वारा विकसित तकनीक का उपयोग करके एक अद्वितीय जंगल विकसित किया है।
आनंद अस्पताल के सन्चालक चिकित्सक डॉ. नितिन जाधव और उनकी स्त्री रोग विशेषज्ञ
पत्नी डॉ. कृष्णा जाधव ने ५ जुलाई को इस जंगल का पहला वर्ष पूरा किया।
उन्होंने एस मानव निर्मित जंगल की पहली वर्षगांठ जंगल का पूजन करके केक और मिठाई बांटकर मनाई।
बत्तीस
शिराला स्थित एक एनजीओ, प्लैनेट अर्थ फ़ाउंडेशन, इंडिया (PEF), की मदद से सिद्धिविनायक नगर में ८००० वर्ग फीट (आठ गुंथा) क्षेत्रमे यह जंगल उभारा गया है।
मियावाकी
जंगल विकास तकनीक ने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने
में योगदान देने के लिए विश्वव्यापी मान्यता हासिल की है। पीईएफ के अध्यक्ष श्री
आकाश पाटिल कहते हैं कि इस तकनीक से वनस्पतियों और जीवों के
लिए केवल दो साल के भीतर घने जंगल का निर्माण किया जा सकता हैं जिसको नैसर्गिक रुपसे दस साल लगते हे. ये निर्माण हुवा घना जंगल स्थानिक
जैवविविधता के लीये बहुत मह्त्वपूर्ण है|.
पीईएफके स्वयंसेवक
शुरू से ही पश्चिमी घाट के करीब जंगल की जैव-विविधतापर संशोधन संवर्धन कार्क कर
रहे हैं। ५ जुलाई, २०२० की पहली वर्षगांठ पर प्रसारित
जैवविविधताकी जानकारीमे पक्षियों की ४१ प्रजातियां, २ स्तनपायी प्राणी प्रजाती, ४ सरीसृप प्रजातियां, उभयचरों की ११ प्रजातियां, तितलियों की ३४ प्रजातियां और अन्य कीटों की ६ प्रजातियां इस मियावाकी जंगल मे दर्ज की
गई हैं।
सरीसृप: नाग, कवड्या, धामण, आदी साँप पाये गये.
पक्षी: गुलाब फिंच, लाहोरी, बुलबुल, साळून्खी, तितर, बादामी उल्लू,
पिंगळा उल्लू, भारतीय मोर, आदी पक्षी.
तितलियाँ: कॉमन रोज़, टेल्ड जे,
कॉमन जाजबेल आदी तीत्लीया
दर्ज की गई।
वनस्पतियां: पिंपल, उम्बर, वड(बरगद), पयार ये कुछ फायकस वनस्पती की प्रजातियां हैं; जंगली फलवाली प्रजातियों में जामून, राय जामून, करंज, आम, फनस; ताम्हन, कंचन, बहावा, पलास, काटेसावर आदी जंगली फूलों की प्रजातियाँ हैं; बेहदा, हिरदा, रीठा, अवला, कडू'लिम्ब और कडिपत्ता औषधीय प्रजातियाँ
हैं।
डॉ. नितिन जाधव कहते हैं:
यह प्रकल्प
हमारे पारिवारिक खेतमे मई २०१९ में शुरू किया गाया।
पी.ए.एफ की टीम ने JCB के और मजदुरो के साथ मिट्टी खोदना और तैयार करने का काम शुरू किया। पूरे
क्षेत्र से एक मीटर गहरी मिट्टी को बाहर निकाला गया. और गाय के गोबर, चावल की भूसी और गन्ने की भूसी आदि जैसे
बायोमास को मिलाकर वृक्षारोपण के लिये जमीन तयार की गयी।
टीम ने
जुलाई २०१९ के पहले सप्ताह में शिराला के स्वयंसेवकों और उत्तर प्रदेश तथा
छत्तीसगढ़ से आये पर्यावरण विज्ञान विभाग मे पढनेवाले छात्रोंके साथ वृक्षारोपण शुरू किया। स्वयंसेवकों
ने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध चावल की छड़ें मल्चिंग के लिये फेला दीं और पेडो को
लाठी का सहारा दिया।
इस संपूर्ण
प्रकल्प को तीन क्षेत्रों
में विभाजित किया गया हे:
• मियावाकी वन क्षेत्र में ५२ देशी प्रजातियों के ५४० पौधे लगाए गए।
• फल वाले क्षेत्र में फलने
वाले पौधों की २२ प्रजातियाँ और
• तितली उद्यान में लगाए
जाने वाले फूलों के पौधों की १८ प्रजातियाँ लगा दी।
• Afforestt India द्वारा तैयार एक मार्गदर्शन
पुस्तिका का प्रकल्प मे लाभ हुवा।
• PEF टीम और डॉ. जाधव परिवार ने एक साप्ताहिक और मासिक
निगरानी और देखभाल प्रणाली शुरू की। पौधों को पानी देना और विड को निकालना ये
महत्वपूर्ण नियमित कार्य थे।
अवलोकन: टीम ने दिसंबर २०१९ तक जंगल मे बहुत वृद्धि नहीं देखी। वन की
औसत ऊंचाई लगभग चार से पांच फीट थी। जंगल को बेहतर पानी देने के लिए ड्रिप सिंचाई
प्रणाली की स्थापना जनवरी २०२० में की गई। जैसे-जैसे फरवरी २०२० से वसंत ऋतु की शुरूवात हुई, सभी पौधे तेजी से बढ़ने लगे। मई २०२० तक जंगल औसतन दस से बारह फीट की ऊंचाई से
बढ गया। ये जंगल की बढती उंची सबको अचंबित करनेवाली थी पर यह हमारे सबके परिश्रम का फल
था |
नो केमिकल्स: डॉ.जाधव विशेष रूप से बताते हैं कि इस जंगल को शास्त्रीय रूप से उगाया गया है।
कोई भी रसायन और कीटनाशक का उपयोग नहीं किया है। जंगल को शुरू से
ही जैविक और प्राकृतिक बायोमास (गाय का गोबर) का उपयोग कर के नैसर्गिक रखा गया हैं। इस जंगल से मिलनेवाली उपज जैवविविधता और
समाज के लिये लाभदायक होगी यह विश्वास हे.
२०२०-२१ के लिए योजना: पीईएफ स्वयंसेवकों ने शिराला विभाग से २५ विभिन्न देशी पेडो की प्रजातियों के बीज संकलित किए हैं। ये प्रकल्प क्षेत्र में देसी
प्रजातियों की एक नर्सरी स्थापित करेंगे। टीम अगले साल लोगों के लिए देसी पौधे दे
सकिगी।
अब तक की प्रतिक्रिया: जंगल के उद्घाटन के बाद आजतक २००० से अधिक लोगों ने इस प्रकल्प को भेट दी हे. और जंगल के विकास की सराहना की है. पीईएफ के उपाध्यक्ष प्रणव महाजन का कहना
है कि इस प्रकल्पसे कई लोग प्रेरित हुए हैं और उन्होंने पेड़ लगाना शुरू कर दिया
है; साथहीअपने क्षेत्रों में मौजूदा बड़े पेड़ों की
देखभाल करने लगे हैं।
प्रकल्प टीम के सभी सदस्य और स्वयंसेवक इस जंगल के माध्यम से
निसर्ग संवर्धन में योगदान के लिए बहुत खुश हैं। इस प्रकल्प का उद्देश है कि लोग देसी
पौधा लगा और अपने क्षेत्र में बड़े पेड़ का संरक्षण करे। समाज मे वृक्ष, जगल, तथा
जैवविविधता के प्रती आदर और जागरूकता निर्माण हो, यही हमारा लक्क्ष्य हे.
मुंबई (355 किमी), पुणे (212 किमी), कोल्हापुर (57 किमी), बैंगलोर (664 किमी) से दूरी
देशांतर: 74 ° 6'53.57 "ई और अक्षांश: 16 ° 58'52.75" एन
Akash Patil
President
Planet Earth Foundation, India
Mahajan Wada, Near Library,
Pul Galli, Shirala. Pin: 415408.
Sangli, Maharashtra, India
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